मुकाम मेले के अवसर पर नोखा से होकर लाखों लोग मुकाम पहुंचते हैं, लाखों हजारों की भीड़ के बीच चोरों, लुटेरों और जेब तराशने वाले बदमाशों पर पैनी दृष्टि बनाये रखने हेतु नोखा पुलिस द्वारा हर वर्ष होशियार और काबिल जवानों का चयन कर उन्हें विशेष जिम्मेदारी सौंपी जाती रही है, और इस बार भी ऐसी ही व्यवस्था थी । सिपाही श्रवणराम बिश्नोई इस मामले में बहुत दक्ष और साहसी प्रवृत्ति के थे । अपनी ड्यूटी के दौरान जैसे ही उन्हें अवांछनीय हरकत की भनक लगी तो जेबकतरों को दबोचने के लिए बिजली की फुर्ती से उनका पीछा किया...अर्जुन की तरह नजर लक्ष्य पर थी और इस जरा सी असावधानी से यह बहादुर जवान ट्रैन से टकराकर वीरगति को प्राप्त हो गया । इस हृदय विदारक हादसे के बाद अमर शहीद श्रवण बिश्नोई को यथोचित मान-सम्मान और उसके परिवार को हर तरह से संबल देने हेतु उच्च स्तरीय प्रयास शुरू किए । पुलिस विभाग के राज्य स्तरीय आला अधिकारियों से एवं सरकार के नुमाइंदों से वार्त्ता कर उन्हें जनभावनाओं से अवगत करवाया । यह सही है कि होनी तो होनहार होती है, उसे कोई टाल नहीं सकता है, किन्तु इस घटना के बाद दिवंगत श्रवणराम को शहीद के दर्जे ...